बतौर रंगमंच कलाकार से अदायगी की दुनिया में कदम रखने वाली भोजपुरी अभिनेत्री श्यामली आज किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं.
बिहार के छोटे से शहर आरा में जहां अधिकांश परिवार अपने बेटेबेटियों को आइएएस और इंजीनियर बनाना चाहते हैं, वहीं किसी रंगमंच से जुड़ना और बतौर भोजपुरी अभिनेत्री खुद को स्थापित करना आसान भी नहीं. वह भी तब जब नातेरिश्तेदार मजाक उड़ाते हों, समाज के चंद लोग फब्तियां कसते हों.
मगर झारखंड के लोहरदगा में जन्मीं और बिहार के आरा में पलीबड़ी श्यामली का परिवार कहीं न कहीं रंगकर्म से जुड़े थे और तभी श्यामली को अपने सपनों को पंख देने में कोई परेशानी नहीं आई.
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अभिनय का जलवा
भोजपुरी, मैथिली सहित कई भाषाओं की अलबमों में अभिनय का जलवा बिखेरनी वाली श्यामली को पहचान मिली हर्ष जैन की भोजपुरी फिल्म ‘माई तोहरे खातिर से’. इस से पहले श्यामली ने मुख्य अलबम ‘ओढ़नियां वाली’, ‘हाय रे होंठ लाली’, ‘तोहार जोड़ केहू नईखे’ से खूब नाम और पैसा कमाया.
भोजपुरी की कई मशहूर फिल्मों में काम करने वाली श्यामली ने फिर पीछे मुङ कर नहीं देखा और एक से बढ कर एक हिट फिल्म देती रहीं. ‘टूटे न सनेहिया के डोर’, ‘हमार घरवाली’, ‘देश में लौटल परदेशी’, ‘बाबुल के घर’ में उन्होंने अपने अभिनय से जम कर शोहरत बटोरी.
फिल्मों में अश्लीलता क्यों
भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता पर श्यामली ने मीडिया से बातचीत में खुलासा किया था कि लोग भोजपुरी फिल्मों की हीरोइनों को समाजिक जीवन में अजीब निगाहों से देखते हैं और कभीकभी तो भोजपुरी फिल्म की अभिनेत्री बताने में शर्म महसूस होती है.
श्यामली भोजपुरी फिल्मों में परोसी जा रही अश्लीलता का विरोध करती नजर आती हैं और फिल्म बोल्ड बनाने के लिए काम कर रही अभिनेत्रियों को वैस्टर्न ड्रैस पहनने को अनावश्यक मानती हैं.
जब दर्शकों को ही पसंद हो अश्लीलता
मगर सच तो यह भी है कि भोजपुरी फिल्मों के अधिकतर गाने जो द्विअर्थी बोलों से भरे रहते हैं, का ऐसा भी दर्शक वर्ग है जिन्हें यही सब पसंद है.
मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में श्यामली ने यह जरूर बताया था कि हाल के दिनों में बन रहीं अधिकतर भोजपुरी फिल्में कतई साफसुथरी नहीं हैं.
‘खेला’, ‘रंगदार राजा’, ‘बलमा बिहारवाला’ उन की जल्द प्रदर्शित होने वाली भोजपुरी फिल्में हैं.
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परिवार का सहयोग
श्यामली ने भले ही खुद की पहचान अपने मातापिता की कोशिशों व सपोर्ट से बनाई हो, पर एक छोटे से शहर में रहते हुए भी अपने सपनों को मनमुताबिक पंख किस तरह दिया जाता है, यह कोई श्यामली से सीखे.
हां, भोजपुरी फिल्मों में अश्लीलता से टौलीवुड जरूर बदनाम है पर जब यह मांग दर्शक ही करे तो निर्मातानिर्देशक आखिर कर भी क्या सकते हैं?