छत्तीसगढ़  के रायगढ़ जिले में वर्ष 2016 में हुए दोहरे सनसनीखेज हत्याकाण्ड की गुत्थी रायगढ़ पुलिस ने अब जाकर  सुलझायी . ओडिशा के बृजराजनगर के  विधायक  रहे अनुप कुमार साय को हत्या के आरोप मे गिरफ्तार किया गया है. राजनीतिक प्रभाव  के कारण  मामला  वर्षों तक लटकता  रहा मगर अंततः  महिला के साथ अवैध संबंध को लेकर मां और नाबालिग बेटी की जघन्य हत्या के आरोपी पूर्व विधायक को जेल की सींखचों के पीछे  भेज दिया गया है.

दरअसल, 7 मई 2016 को एक अज्ञात महिला व एक लड़की  की लाश पुलिस को हमीरपुर रोड़ के पास मिली थी . इस अंधे कत्ल की गुत्थी को सुलझाने मे पुलिस को चार साल लगे.पुलिस के अनुसार मृतका कल्पना दास का अवैध संबंध पूर्व विधायक अनुप कुमार साय के साथ था. और जैसा कि होता है  महिला शादी का दबाव विधायक अनूप कुमार पर बना रही थी लिहाजा उसकी  और  14 साल की बेटी बबली दास की हत्या कर दी गई.इस हत्याकांड  की जांच में रायगढ़ पुलिस ने  6 राज्यों में लगभग सात सौ लोगो से पूछ ताछ की. तब जाकर यह खुलासा हुआ . रायगढ़ पुलिस आरोपी पूर्व विधायक की डीएनए टेस्ट के साथ साथ नार्को टेस्ट भी कराएगी.

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विधायक का  प्रभाव ऐसा रहा की  जांच 4 वर्षों तक चलती रही.पुलिस ने सारे मोबाईल डिटेल व सबुत जुटा लिया है.कुल मिलाकर यह हत्या अवैध संबंधों का नतीजा कही जा सकती है पुलिस के अनुसार आरोपी अनुपकुमार साय के साथ साथ और भी कई आरोपी इस हत्या में शामिल हो सकते है. इस दिशा में भी पुलिस  जांच पुलिस कर रही है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि लंबे समय तक मृतका की शिनाख्त ही नहीं हो पा रही थी. अंतत: हत्या का खुलासा तब हुआ जब मृतिका का एक रिश्तेदार, जो  पुलिस में था, ने थाने में लगे फोटो की शिनाख्ती की.

कानून के हाथ लंबे  होते हैं

इस हाई प्रोफाइल हत्याकांड  और अपराधियों के कानून की  जद मे आने के बाद यह सिद्ध हो गया कि सचमुच कानून के हाथ लंबे होते हैं. अपराधी चाहे कितना ही बड़ा और प्रभावशाली क्यों ना हो, बच नहीं सकता. घटना का खुलासा करते हुए रायगढ़ जिले के पुलिस अधीक्षक संतोष सिंह ने बताया कि सात मई 2016 को संबलपुरी गांव के रहने वाले कमलेश गुप्ता ने चक्रधरनगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई  थी.  हमीरपुर मार्ग मे एक महिला व एक बालिका की हत्या कर शव की पहचान छिपाने के उद्देश्य से कार से कुचल कर  फेंक दी गयी है. रिपोर्ट पर थाना चक्रधरनगर में अज्ञात आरोपी के विरूद्ध अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू की गई थी.

जिला पुलिस द्वारा अन्तर्राज्यीय ईश्तहार जारी किया गया था और इसी ईश्तहार से, मृतक की पहचान उसके पूर्व पति सुनील श्रीवास्तव द्वारा कल्पना दास पिता रूदाक्ष दास उम्र 32 वर्ष और लड़की बबली श्रीवास्तव पिता सुनील श्रीवास्तव उम्र 14 वर्ष के रूप में की गई थी.  चक्रधरनगर पुलिस की जांच चलती  रही  और मृतका कल्पना दास के मोबाईल नम्बर का डिटेल निकालकर विशलेषण कर अन्य साक्ष्यों को एकत्र किया जाता रहा . मृतका के कॉल डिटेल पर ओडिसा के हाई प्रोफाईल शख्स विधायक  अनुप कुमार साय के नाम की जानकारी मिली. जिसके विरूद्ध चक्रधरनगर पुलिस पुख्ता साक्ष्य जुटाने में जुट गई.

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जब पुलिस को संदेही विधायक  के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य के मिलने पर थाना प्रभारी चक्रधरनगर निरीक्षक विवेक पाटले द्वारा पुलिस अधीक्षक  को अवगत कराया गया जिनके दिशा निर्देशन पर संदेही अनूप कुमार साय, पूर्व विधायक ओडिस को चक्रधरनगर पुलिस द्वारा नोटिस देकर थाना तलब किया गया था. संदेही अनूप कुमार साय के थाना चक्रधरनगर आने पर अधिकारियों के सुपरविजन में पूछताछ की जाती  रही. मगर आरोपी बड़ी चालाकी से अपने आप को इस संपूर्ण प्रकरण से अलग बताता था.

 जब शादी करने डाला दबाव तो कर दी हत्या

विवेचना के बीच चक्रधरनगर पुलिस ने संदेही के विरुद्ध लिए गए गवाहों के बयान, कॉल डिटेल रिकार्ड व अन्य महत्वपूर्ण साक्ष्यों को उसके सामने रखा तो पूर्व विधायक अनुप कुमार साय  का पसीना निकल आया और उसने हथियार डाल दिए. और इस तरह अंधे हत्याकांड का  पर्दाफाश हुआ.आरोपी अनूप कुमार साय पिता हरिशचन्द्र साय उम्र 59 वर्ष निवासी बघरा चकरा थाना बृजराजनगर जिला झारसुगुड़ा (ओडिसा) ने अपने  कथन में बताया कि वह पूर्व विधायक है. वर्तमान में वह ओडिशा में स्टेटवेयर हाऊस कार्पोरेशन का चेयरमेन है.

सन 2004-05 में कल्पना दास को उसके पति सुनील श्रीवास्वत ने छोड़ दिया था. इसी दरमियान कल्पना दास के पिता ने कल्पना और उसकी लड़की बबली को उसके पास भेजा था. मृतका कल्पना व आरोपी पूर्व विधायक के बीच प्रेम संबंध पनपा और दोनों मिलने  लगे. पूर्व विधायक ने एक फ्लैट खरीद कर कल्पना को आवास के लिए दिया और वहां आने-जाने लगा. आरोपी ने बताया कि बाद में कल्पना शादी का दबाव बनाने और पैसे की मांग को परेशान  करने लगी.

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पहले से शादीशुदा आरोपी ने महिला को रास्ते से हटाने के लिए उसकी और उसकी 14 साल की बेटी की निर्ममता से हत्या कर लाश को कोई पहचान ना पाए उस पर कार चला दी थी. आरोपी ने इस जुर्म की सजा से बचने के लिए तमाम हथकंडे अपनाये , लेकिन अंतत: वह कानून के शिकंजे से बच नहीं  पाया.

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