दलितों और पिछड़ों की जिंदगी आज भी इतनी सस्ती है कि लोग राह चलते जोड़ों को पकड़ कर जाति पूछ कर उन की लड़की का मजे में रेप कर सकते हैं और देश व समाज की भौंहों पर एक बल भी नहीं पड़ता. कश्मीरकश्मीर चिल्लाने वाले, मंदिर को बचाने वाले न जाने कहां चले जाते हैं जब एक दलित व पिछड़ी जाति की लड़की का बलात्कार दिन में उस के साथी के साथ हो रहा होता है.

राजस्थान के बांसवाड़ा में 13 जुलाई को एक दलित लड़की जो अपने साथी के साथ मोटरसाइकिल पर जा रही थी, को सुनील, विकास व जितेंद्र नाम के लड़कों ने पकड़ लिया. जाति तो पूछने पर ही पता चली होगी पर जैसे ही पता चली उन्होंने लड़के को भगा दिया और 5 जनों ने बारीबारी से उस लड़की का वहशियाना तरीके से रेप किया क्योंकि उन की समझ में दलित लड़की का रेप तो समाजसम्मत है.

दलित लड़की को इस समाज पर, कानून पर जरा भी भरोसा नहीं था और उस ने अस्पताल में जा कर इलाज तो करा लिया, पर रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई. लड़के ने गांव आ कर आत्महत्या कर ली और पुलिस तो लड़की तक आत्महत्या की छानबीन पर पहुंची. फिल्म ‘पद्मावत’ पर होहल्ला मचाने वाले हजारों की भीड़ नदारद थी जब इन लड़कों को पकड़ा गया. कश्मीर पर ढोल बजाने वालों को दलित लड़की के बलात्कार से कोई फर्क नहीं पड़ा था.

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राजस्थान में कहीं भी निर्भया जैसे कैंडल मार्च नहीं निकले क्योंकि लड़की दलित थी. यह लड़की गर्भवती थी और इस बलात्कार से उस का बच्चा मर गया पर पक्की बात है कि 5-10 साल बाद जब फैसला होगा तब तक सारे गवाह मुकर जाएंगे. मोबाइल रिकौर्ड गायब हो जाएंगे. पुलिस वाले बयान बदल चुके होंगे. लड़की की खुली अदालत में 10-15 बार जम कर खिंचाई होगी. उस के घर वालों के मुंह पर 2-4 हजार रुपए मार कर कहा जाएगा कि चुप हो जाओ. धमकियां दी जाएंगी. पति तो मर गया, लड़के व लड़की दोनों के घर वालों को पैसेपैसे के लिए तरसा दिया जाएगा और जब मौका मिलेगा उन की जम कर पिटाई होगी.

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