यदि अमेरिका चाहता तो उत्तरी कोरिया द्वारा पहले परमाणु बम बनाने पर ही उस पर हमला कर देता पर एक के बाद एक राष्ट्रपतियों ने उत्तरी कोरिया पर केवल आर्थिक प्रतिबंध लगाए. इस बार अमेरिका के खब्ती राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कोरिया के नेता किम जोंग उन को सिंगापुर के होटल में फेसटूफेस मीटिंग के लिए आने पर मजबूर किया.

इसी तरह कश्मीर समस्या का हल आर्थिक है, सैनिक नहीं. जो लोग गुर्रा रहे हैं कि मार दो, चीर दो, हमला कर दो, युद्ध कर दो वे इतिहास, वास्तविकता और व्यावहारिकता से परे हैं. देश ने हत्या करने वालों की फौज खड़ी कर ली है जिन्होंने 2014 में कांग्रेस को पप्पू की पार्टी साबित कर के भाषणचतुर नरेंद्र मोदी को जितवा दिया था. यह फौज सोचती है कि ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सऐप के जरिए वह पाकिस्तान को डरा देगी. वह यह भी सोचती है कि जैसे तार्किक, समझदार लोगों को अरबन नक्सलाइट कह कर उन का मुंह बंद कर दिया वैसे ही सभी कश्मीरियों को गौहत्यारों जैसा अपराधी बना देगी.

कश्मीर को और पाकिस्तान को कड़ी मेहनत व आर्थिक विकास से जीता जा सकता है. आज पाकिस्तान और भारत के कट्टर एकजैसा व्यवहार कर रहे हैं और दोनों ही तरफ ऐसे लोग भी सत्ता में हैं जिन के लिए आर्थिक विकास नहीं, धमकीभरे बयान सही हैं.

1920 और 1940 के बीच जरमनी ने हार के बावजूद सैकड़ों हवाई जहाज, हजारों टैंक, लाखों बंदूकें बना ली थीं क्योंकि उस के उद्यमियों ने रातदिन मेहनत कर के एक मजबूत आर्थिक देश को जन्म दिया था. हिटलर बकबक करता रह जाता अगर उस के पास वे जहाज, वे लड़ाकू विमान, वे फौजी सामान नहीं होते जिन से उस ने चारों ओर एकसाथ फैलना शुरू कर दिया था.

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