लोकसभा चुनाव की पूरी प्रक्रिया बेहद लंबी है. लगभग 2 महीने तकचुनाव का कामकाज चल रहा है. बहुत सारे सरकारी विभागों में कामकाज ठप्प है. सरकारी कर्मचारी चुनावी डयूटी पर है. यहा तक की पुलिस विभाग मेंभी बहुत सारे केस पेडिंग है. पुलिस चुनावी डयूटी में लगी है. सबसे खराबहालत पोलिंग बूथ पर डयूटी देने वाले कर्मचारियों की होती है. इनको अपने घर से दूर गांवगांव ऐसी जगहों पर जाना होता है जहां रहनेखाने तक की कोई व्यवस्था नहीं होती है.

यूपी ही तय करेगा दिल्ली का सरताज

किसी जानपहचान वाले के घर रूकना या फिर मतदान स्थल पर रात गुजारनी पडती है.इस दौरान वह अपने घर परिवार के संपर्क से भी दूर रहते है. डयूटी के समय उनको अपने फोन तक के प्रयोग की अनुमति नही होती है. सबसे अधिक परेशानी शिक्षा विभाग में काम करने वाली शिक्षिकाओं की है. इनमें से तमाम के छोटे बच्चे है. एकल परिवार में रहने के कारणवह बच्चों को छोड नहीं सकती और डयूटी के समय साथ भी नहीं रख सकती. इनकी डयूटी जब गांव देहात के एरिया में लग जाती है तो उसको संभालना मुश्किल हो जाता है. मतदान वाले दिन की डयूटी ज्यादा कठिन होती है. सुबह 5 बजे मतदान स्थल पर पहंुचना पडता है. इसके लिये रात भर का सफर करना पडता है. मतदान खत्म होने के बाद भी उनको छुटटी तब मिलती है जब मतपेटी जमा हो जाती है और सारे कागजात का मिलान हो जाता है. बहुत सारे मतदान स्थल गांव के सरकारी स्कूलों में होते है. जहां आज भी महिलाओं के लिये साफ सुथरे शौचालय नहीं है.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...