छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की कांग्रेस  सरकार से धान खरीदी के वादाखिलाफी को लेकर किसानों का आक्रोश अपने चरम पर है. हालात इतने विषम है कि धान खरीदी के मसले पर भूपेश सरकार पूर्णता विफल हो चुकी है. और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सहित उनका मंत्रिमंडल गांधीजी के बंदरों की तरह आंख बंद करके  मौन बैठा है.

यह बंदर कुछ कहना नहीं चाहते और ज्यादा ही पूछो तो धान के मसले पर सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं.मगर जमीनी हकीकत कुछ और है हमारे संवाददाता ने जांजगीर, बिलासपुर, बेमेतरा और रायपुर के कुछ धान मंडियों का निरीक्षण किया और पाया कि किसानों में 25 सौ रुपए क्विंटल धान खरीदी एलान के बाद जैसी विसंगतियां पैदा की गई हैं भूपेश सरकार के खिलाफ किसानों में भयंकर आक्रोश दिखाई दे रहा है.

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दरअसल, इस मसले पर भूपेश और कांग्रेस दोनों बुरी तरह घिरते चले जा रहे हैं.किसानों से वादे तो कर दिया गए मगर जब निभाने का वक्त आया है तो पैसे नहीं होने के कारण छत्तीसगढ़ की आर्थिक हालात बदतर होने के कारण सरकार के पसीने निकल रहे हैं. भूपेश सरकार का अप्रत्यक्ष रूप से धान के मसले पर "डंडा" चलने लगा है.

गौरतलब है कि डॉ. रमन सिंह सरकार एक-एक दाना धान खरीदने की बात करती थी और खरीदने का प्रयास भी करती थी किसानों के साथ सद व्यवहार के साथ सम्मान के साथ धान खरीदी होती थी मगर अब ऐसा नहीं है. पटवारी के पास चक्कर लगाओ, और तहसील में चक्कर लगाओ, धान समितियों में चक्कर लगाओ. इन सब से किसान बेहद परेशान और  आक्रोश में है.

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