दुनिया की सबसे पुरानी पार्टी आज सबसे बुरे दौर से गुजर रही है. लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के पास बहुत अच्छा मौका था कि इन दो राज्यों में वो बीजेपी को कड़ी टक्कर दे. इस तरह कांग्रेस एक तीर से दो शिकार कर सकती थी. पहला तो ये कि लोकसभा के बाद बीजेपी का ग्राफ गिरा है दूसरा ये कि आर्टिकल 370 को खत्म करने के बाद बीजेपी को ये दिखाना कि आपके इस फैसले को जनता का समर्थन नहीं मिला. लेकिन ऐसा संभव नहीं दिख रहा. महाराष्ट्र और हरियाणा में कांग्रेस भितरघात से जूझ रहा है. उसका मुस्तकबिल खुद कांग्रेस को भी नहीं बता.

21 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए वोट डाले जाने हैं. बीजेपी सहित तमाम छोटे छोटे राजनीतिक दल चुनावी तैयारियों में जुटे हैं, सिर्फ कांग्रेस को छोड़कर. कांग्रेस में चुनावी तैयारी की कौन कहे - हरियाणा कांग्रेस का झगड़ा तो दिल्ली की सड़कों पर उतर आया है. हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर ने भूपिंदर सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा के खिलाफ नया मोर्चा खोल दिया है. पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने मुश्किल ये खड़ी हो गयी है कि चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ायें या फिर इन पचड़ों को निपटाएं. लेकिन ये कोई छोटा पचड़ा नहीं है. इसने सियासत में तूफान ला दिया है.

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तंवर कांग्रेस के दलित चेहरा थे और युवाओं में उनकी खास पकड़ है. ऐसे वक्त में तंवर को पार्टी से अलविदा कहना अपने आपमें बीजेपी की राह आसान करना है. हरियाणा में बीजेपी पहले से ही काफी मजबूत स्थिति में थी लेकिन अब तो लगता है यहां खेल एकतरफा ही होता जा रहा है. जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी संदेश यात्रा में व्यस्त थे, हरियाणा कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर अचानक कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे और समर्थकों के साथ धरने पर बैठ गये. अशोक तंवर का आरोप है कि हरियाणा कांग्रेस में उम्मीदवारों को पैसे लेकर टिकट दिया जा रहा है और जो कार्यकर्ता पार्टी के लिए लगातार पसीना बहाते रहे हैं उन्हें को पूछ भी नहीं रहा है.

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