केंद्र सरकार की मनमरजी से लागू हुई नीतियों, संशोधनों और नए कानूनों ने माली मोरचे पर सब से ज्यादा कमर कामधंधा करने वालों की तोड़ी है. अनुच्छेद 370 हो, नोटबंदी हो, जीएसटी हो, या फिर ताजा नागरिकता संशोधन कानून ने देशभर में कामधंधों को सिरे से तबाह कर दिया है.

उत्तर प्रदेश के गोसाईंगंज इलाके में नागरिकता संशोधन कानून से उपजे दंगे के बाद अघोषित कर्फ्यू ने चूड़ी उद्योग व उस से जुड़े गोदामों व ट्रांसपोर्ट कंपनियों में काम कर रहे हजारों मजदूरों के सामने दो जून की रोटी का संकट खड़ा कर दिया है.

तनाव के चलते शहर के अलगअलग हिस्सों में चलने वाले चूड़ी गोदाम बंद हैं. चूड़ी उद्योग से जुड़े काम ठप होने के चलते नगर के ट्रांसपोर्टर भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं.

नगर क्षेत्र की सीमा में 50-60 चूड़ी कारखाने हैं. इन कारखानों में दिहाड़ी पर काम करने वाले मजदूरों की तादाद 40,000 से ज्यादा है. 8-8 घंटे की

3 शिफ्टों में 300 से 500 रुपए वाले दिहाड़ी मजदूरों के घरों में चूल्हे की तपिश पैसे की कमी के चलते ठंडी पड़ चुकी है.

बेनूर पर्यटन का बाजार

उत्तराखंड जैसे राज्य की माली तरक्की बहुत हद तक पर्यटन पर टिकी है. मसूरी, नैनीताल जैसे कई शहर इस समय पर्यटकों की राह देखते हैं. इस समय की आमदनी अगले कुछ महीनों के लिए राहत ले कर आती है. लेकिन इस समय नैनीताल के लोग नागरिकता संशोधन कानून रद्द करने की मांग कर रहे हैं.  झील किनारे यह बैनर फहराया जा रहा है कि ‘वे तुम्हें हिंदुमुसलिम बताएंगे, लेकिन तुम भारतीय होने पर अड़े रहना’.

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