1972 बैच के आईपीएस अधिकारी एसआर दारापुरी 32 पुलिस की सर्विस से साल 2003 में आईजी के पद से रिटायर हुये. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के इंदिरानगर कालोनी में रहते है. पुलिस से रिटायर होने के बाद एसआर दारापुरी ने सोशल एक्टिविस्ट और राजनीतिक पार्टी के जरिये जनता की सेवा का काम करना शुरू किया. उनकी पहचान दलित चिंतक के रूप में भी है.

इसके अलावा पुलिस के द्वारा एकांउटर में मारे गये निर्दोश लोगों को लेकर उनका लंबा संघर्ष चल रहा है. इस संबंध में उनकी याचिका कोर्ट में है. 76 साल उम्र के एसआर दारापुरी औल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता है. नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने उनको गिरफ्तार किया था. 14 दिन जेल में रहने के बाद वह जेल से छूटकर वापस आये और कहा कि ‘सरकार के दमन हमारे उपर कोई असर नहीं है. हमने नागरिकता कानून का पहले भी विरोध किया था. आज भी कर रहे और आने वाले कल भी करेगे. हमने पहले भी हिंसा नहीं की आज भी नहीं कर रहे और आगे भी नहीं करेंगे. शांतिपूर्ण तरह से हम अपना विरोध दर्ज कराते रहेगे.’

पूरी तरह से अवैध थी घर में हिरासत:

76 साल के एसआर दारापुरी में सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ गुस्सा पूरे जोश में है. वह किसी नौजवान की तरह से आगे भी सरकार की नीतियों से लड़ने के लिये तैयार है. एसआर दारापुरी अपनी गिरफ्तारी के घटनाक्रम पर विस्तार से जानकारी देते हैं. वह कहते है ‘5 दिसम्बर 2019 को नागरिकता कानून के खिलाफ हजरतगंज पर बनी डाक्टर अम्बेडकर की प्रतिमा के नीचे धरना दिया गया था. वहां बहुत सारे सामाजिक संगठनो के लोग थे. वहां पर 19 जनवरी को नागरिकता कानून के विरोध की घोषणा हुई थी. बाद में इस अभियान में दूसरे राजनीतिक लोग भी जुड गये. 19 दिसम्बर को विरोध प्रदर्शन को देखते हुये मुझे अपने घर में पुलिस ने नजरबंद कर दिया था.‘

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