इलाहाबाद से प्रयागराज हुए इस शहर के रोशनबाग इलाके में पिछले 100 साल की ठंड का रिकौर्ड असर भी प्रदर्शनकारियों के हौसले के आगे हार गया. प्रशासन की मानमनौव्वल के बाद भी एनआरसी, सीएए और एनपीआर को ले कर रविवार, 12 जनवरी, 2020 को दोपहर के 3 बजे से शुरू हुआ प्रदर्शन तीसरे दिन भी जोश और जज्बे के साथ रहा. लगातार भीड़ बढ़ती जा रही थी.

सब से बड़ी बात यह थी कि इस प्रदर्शन में वे औरतें भी बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रही थीं, जो अपने घरों से बहुत कम बाहर निकलती हैं. धरना पूरे दिन और पूरी रात चलता रहा.

इस आंदोलन की यह भी खासीयत है कि यह शांति से हो रहा था और पार्क के अंदर था. आंदोलनकारी अपने बैनर सड़क पर लगाना चाह रहे थे, लेकिन पुलिस द्वारा कानून का हवाला देने पर उन्हें वहां से हटा लिया गया.

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विरोध जता रहे लोगों के हाथों में तिरंगा भी था. वे मानते हैं कि तिरंगे का साया उन्हें ताकत देता है.

इस आंदोलन में आई एक औरत ने कहा, ‘‘देश की शान तिरंगा हमें एक राष्ट्र, एक देश और एक समाज के रूप में बांधता है. हम कभी अशांति नहीं फैलाएंगे.’’

दिल्ली से चला यह प्रदर्शन अब छोटे शहरों में भी फैल रहा है. प्रयागराज में रात में प्रदर्शनकारियों की भीड़ बढ़ रही थी. लोग रजाईगद्दे ले कर आ रहे थे.

इस आंदोलन की शुरुआत करने वाली सायरा को समर्थन देने के लिए औरतें बड़ी तादाद में दुधमुंहे बच्चों के साथ पहुंच रही थीं. मर्द व बूढ़े भी आंदोलन में बराबर से भागीदारी निभा रहे थे.

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