मैं हैरान हूं खुद पर कि यह सब मेरे साथ ही क्यों हुआ? 24 साल की उम्र में यह कैसे हो सकता है, समझना मुश्किल था मेरे लिए. मेरी गर्लफ्रैंड साथ होती तो मैं सैक्स से बचने के लिए बहाने ढूंढ़ रहा होता. कभीकभी तो बाथरूम भागता और वहीं चोरीछिपे वियाग्रा की गोली खा कर खुद को सैक्स के लिए तैयार करता. यह गोली काफी महंगी थी. ब्लैक से खरीदने पर 400-500 रूपए खर्च करने पड़ते थे. मन करता कि इस से तो अच्छा है मर ही जाऊं.
मेरे लिए यह डूब मरने वाली बात थी कि मेरी सभी गर्लफ्रैंड मेरे साथ सैक्स करने के लिए तैयार रहतीं पर मैं बहाने ढूंढ़ रहा होता. एक दिन तो वियाग्रा की गोली खाते वक्त मेरी एक गर्लफ्रैंड ने पूछ ही लिया कि यह क्या है? तब बङी मुश्किल से मैं ने बात का रूख दूसरी ओर मोड़ दिया था.
सिहर उठता हूं मैं...
वह दिन मुझे आज भी याद है. मैं उस दिन को याद कर के सिहर उठता हूं जब एक झोला छाप डाक्टर इलाज के दौरान जांघों में 3-4 सूईयां लगा कर पूछ बैठा," दर्द तो नहीं हो रहा?" हद हो गई थी तब तो. मन कर रहा था इसी तरह उस के साथ भी करूं, पर कर भी क्या सकता था. उस ने मुझे दवा की कई गोलियां शुबहशाम खाते रहने को दीं, जैल लगाने को दिए पर फायदा कुछ नहीं हुआ. मैं बुरी तरह डर गया था...
मैं अखबार में एक विज्ञापन देख कर एक औघड़ बाबाजी के पास भी गया. उस ने तब मेरी खोपड़ी पर हड्डीनुमा किसी चीज से जोर से दे मारा और 5-7 हजार रूपए भी झटक लिए. दोबारा आने को कहा पर मैं ने हाथ जोड़ लिए.