क्रिकेट देखने और पसंद करने वाले लोग एक बात तो जानते होंगे कि भारतीय क्रिकेट टीम हमेशा बल्लेबाजों पर निर्भर रही है. भारत के पास हमेशा से ही एक से बढ़कर एक बल्लेबाज रहे हैं लेकिन गेंदबाजी में हमेशा कमी रही है. बीते कुछ सालों में भारतीय क्रिकेट टीम की ये भी कमी दूर हो गई. टीम में जब से भुवेश्वर कुमार और फिर जसप्रीत बुमराह आए हैं तब से भारतीय टीम का ये पाला भी मजबूत हो गया. गेंदबाजी के दम पर ही इस बार भारत विश्व कप की प्रबल दावेदार थी और गेंदबाजों ने ये कर के भी दिखाया था. छोटे से छोटे स्कोर पर भी टीम इंडिया ने कई मैच जीते थे. उन सभी मैचों को आप करीब से देखेंगे तो आप देख पाएंगे कि बुमराह ने कैसे विरोधियों को बांध दिया था. विरोधी खेमे का धुरंधर बल्लेबाज भी बुमराह की गेंदों पर चौंक जाता था. पाकिस्तान वाला मैच हो या फिर अफगानिस्तान वाला. दोनों ही मैचों में गेंदबाजों की भूमिका कमाल की रही.

अब बात आती है कि आखिरकार बुमराह कैसे यहां तक पहुंचे और वो इतने घातक कैसे हो गए. बात शुरू करते हैं कि बुमराह का करियर कैसे चढ़ा.

जसप्रीत बुमराह आईपीएल की देन हैं. आईपीएल में उनको मुंबई इंडियस ने खरीदा. जसप्रीत बुमराह ने साल 2013 में मुंबई इंडियंस के लिए आइपीएल डेब्यू किया था. डेब्यू के बाद से जसप्रीत बुमराह ने इस लीग के 76 मैच खेले हैं, जिनमें उन्होंने 80 विकेट अपने नाम किए हैं. मैच था मुंबई इंडियंस बनाम चेन्नई सुपर किंग्स का. चेन्नई के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी बल्लेबाजी कर रहे थे और बुमराह गेंदबाजी. बुमराह को उस वक्त कोई नहीं जानता था. बुमराह ने गुड लेंथ की गेंद डाली और धोनी को आउट कर दिया. इस गेंद के बाद से ही बुमराह को लोगों ने जाना था. इसके बाद उनकी पहचान टी-20 गेंदबाज की बन गई थी क्यों कि वो ज्यादातर ओवरपिच गुड लेंथ और यॉर्कर गेंद फेंकने की कोशिश करते थे. इस कोशिश में उनसे कई बार फुल टॉस गेंद डल जाती थी जिसका बल्लेबाज भरपूर फायदा उठाते थे.

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