‘‘कुछ सुना...’’ ‘‘क्या?’’

‘‘सुनीता ने उस मोची से शादी कर ली.’’ ‘‘मोची... कौन मोची?’’

‘‘अरे वही मोची, जिस की सदर बाजार में जूतों की बड़ी सी दुकान है. जिस के यहां 8-10 नौकर जूते बनाने का काम करते हैं.’’ ‘‘तुम राजेश की बात तो नहीं कर रहे हो?’’

‘‘हां, वही राजेश.’’ ‘‘अरे, उस से तो सुनीता का चक्कर बहुत दिनों से चल रहा था.’’

‘‘फिर भी मांबाप ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.’’ ‘‘अरे, कैसे ध्यान दें, आगे रह कर उन्होंने ही तो छूट दी थी.’’

‘‘सुनीता का पैर टेढ़ा है, फिर भी उस राजेश ने क्यों शादी कर ली?’’ ‘‘उस की खूबसूरती के चलते.’’

‘‘मगर, उस के टेढ़े पैर की वजह से उस की शादी बिरादरी में नहीं हो रही थी, इसलिए उस ने राजेश को चुना.’’ ‘‘राजेश को ही क्यों चुना? क्या उसे अपनी बिरादरी में ऐसा लड़का नहीं मिला?’’

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‘‘सुना है, बिरादरी में जो भी लड़का देखने आता, टेढ़े पैर के चलते उसे खारिज कर देता था.’’ ‘‘मगर, सुनीता को राजेश में क्या दिखा?’’

‘‘अरे, उस की दौलत दिखी...’’ ‘‘कुछ भी हो, उस ने शादी कर के कमल सिंह का बोझ हलका कर दिया.’’

यह चर्चा कमल सिंह के घर के ठीक सामने खड़े हो कर महल्ले के सारे लोग कर रहे थे. चर्चा ही नहीं कर रहे थे, बल्कि अपनी राय भी दे रहे थे. कमल सिंह और उन की पत्नी मालती अपने घर में बैठ कर मातम मना रहे थे. वे महल्ले वालों के ताने सुन रहे थे. वे जोकुछ कह रहे थे, गलत नहीं था. सुनीता एकलौती लड़की है. उस ने गैरबिरादरी में शादी कर के अपने ऊंचे कुल के समाज में नाक कटा दी, जबकि एक से एक लड़के उन्होंने तलाश किए. मगर उस के टेढ़े पैर के चलते सब उसे खारिज करते रहे.

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