बोटोक्स: बोटोक्स का इंजैक्शन मसल्स यानी  मांसपेशियों में लगाया जाता है. इस से उम्र कम लगने लगती है, क्योंकि यह त्वचा पर उभरी लकीरों व झुर्रियों को मिटाने का काम करता है. इस का असर स्थायी नहीं रहता. समयसमय पर इंजैक्शन लगवाते रहना पड़ता है. 28 से ले कर 65 साल तक के लोग इस का इस्तेमाल कर सकते हैं.

फिलर्स: यह भी एक तरह का इंजैक्शन ही है, जिस का प्रयोग त्वचा में कसाव लाने व झुर्रियां मिटाने के लिए किया जाता है. ये इंजैक्शन त्वचा की केवल ऊपरी सतह को छूते हैं. ये बोटोक्स की तरह त्वचा के अंदर तक नहीं जाते.

लाइपोसक्शन: यह ट्रीटमैंट चरबी की परेशानी से मुक्ति दिलाता है. मोटापे से परेशान लोग इस तकनीक का सहारा लेते है. इस के तहत एक छोटी सी सर्जरी के जरीए पेट या शरीर के दूसरे हिस्से के फैट को गलाया जाता है.

लेजर थेरैपी: यह ट्रीटमैंट त्वचा के दागधब्बों व गड्ढों को मिटाने में कारगर है. चेहरे के अनचाहे बालों को हटाने के लिए भी इस थेरैपी का प्रयोग किया जाता है.

तेजी से बढ़ता प्रसार

डा. सुनील चौधरी कहते हैं कि खूबसूरती की ये मैडिकल तकनीकें पहले भी थीं, लेकिन तब इन का इस्तेमाल मौडल, ऐक्टर या अन्य हाई प्रोफाइल लोग ही करते थे या फिर केवल महिलाएं. मगर आज इन तकनीकों द्वारा सुंदर बनने की दौड़ में सब से ज्यादा 40 पार के पुरुष शामिल हैं.

सही सैंटर का चुनाव

सौंदर्य के प्रति बढ़ती पुरुष वर्ग की चाहत अच्छी है, मगर कहीं से भी ट्रीटमैंट लेने की जल्दबाजी बुरी है. खूबसूरती की ललक में ऐसी गलतियां न करें जो सेहत पर भारी पड़ जाएं. कई लोग विज्ञापन पढ़ कर ऐसे ब्यूटी सैंटर में चले जाते हैं, जहां कोई कौस्मैटिक सर्जन या डर्मैटोलौजिस्ट ही नहीं होता. ब्यूटी ऐक्सपर्ट खुद ये सेवाएं देते हैं, जो खतरनाक साबित होती हैं.

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